कला शिक्षा और प्रशिक्षण युवाओं को न केवल अपनी रचनात्मकता विकसित करने का अवसर देते हैं, बल्कि उन्हें स्वरोजगार और व्यावसायिक अवसरों के लिए भी तैयार करते हैं। चित्रकला, नृत्य, संगीत, डिजाइन, अभिनय जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त युवा स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं या विभिन्न संस्थानों में रोजगार पा सकते हैं। यह प्रशिक्षण आत्मविश्वास बढ़ाता है और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है। CASS NGO जैसे संगठन कला आधारित शिक्षा के माध्यम से युवाओं को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल बन रहा है।
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई “आत्मनिर्भर भारत” पहल का मुख्य उद्देश्य है देश को आर्थिक रूप से स्वतंत्र और सशक्त बनाना। इस दिशा में कई योजनाएं बनाई गई हैं, जिनका लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए कई सामाजिक संस्थाएं निरंतर कार्य कर रही हैं। ऐसी ही एक संस्था है जो केंद्र एवं राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं जैसे—नरेगा, मनरेगा, महिला रोजगार योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक करने और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का कार्य कर रही है।
संस्था का यह प्रयास है कि गरीब, पिछड़े, ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के जरूरतमंद लोगों तक सरकारी योजनाओं की सटीक जानकारी पहुंचे ताकि वे इनका लाभ लेकर आत्मनिर्भर बन सकें। अधिकांश लोगों को यह नहीं पता होता कि सरकार उनके लिए कौन-कौन सी योजनाएं चला रही है और उनके आवेदन की प्रक्रिया क्या है। ऐसे में संस्था द्वारा आयोजित जागरूकता शिविरों, सूचना केंद्रों तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से उन्हें उचित मार्गदर्शन दिया जाता है।
नरेगा और मनरेगा योजनाएं
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत ग्रामीण परिवारों को हर वर्ष 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाता है। संस्था इन योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाकर उन्हें कार्ड बनवाने, रोजगार पंजीकरण करने और समय पर भुगतान दिलाने में मदद करती है।
महिला रोजगार और स्वरोजगार
संस्था विशेष रूप से महिलाओं के लिए चल रही योजनाओं पर भी ध्यान देती है, जैसे महिला आजीविका मिशन, स्वयं सहायता समूह (SHG), कुटीर उद्योग, सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण आदि। इन कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाएं घरेलू उद्योग शुरू कर रही हैं, जिससे उन्हें आत्मसम्मान और आर्थिक मजबूती मिल रही है।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
संस्था द्वारा युवाओं को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उद्योगों के लिए बैंक लोन, प्रशिक्षण और बिजनेस योजना बनाने में सहयोग दिया जाता है। यह योजना युवाओं को आत्मनिर्भर उद्यमी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
संस्था की उपलब्धियां
अब तक संस्था ने 1500 से अधिक परिवारों को सरकारी योजनाओं से जोड़कर उनका जीवन स्तर सुधारने में सफल योगदान दिया है। इनमें कई महिलाएं हैं जो अब स्वयं सहायता समूह की सदस्य बनकर अपने गांव में रोजगार पैदा कर रही हैं। कई युवा स्वरोजगार के माध्यम से अपने पैरों पर खड़े हो चुके हैं।
आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब समाज के सभी वर्गों को बराबरी से विकास का अवसर मिले। यह संस्था सरकार और आम जनता के बीच एक मजबूत सेतु का काम कर रही है। इसके प्रयासों से न सिर्फ लोगों को रोजगार मिल रहा है, बल्कि उनमें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की भावना भी विकसित हो रही है।
रोजगार उन्मुख प्रशिक्षण कार्यक्रम: संस्था की पहल
वर्तमान समय में शिक्षा और प्रशिक्षण केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि यह युवाओं को व्यावसायिक कौशल और आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुके हैं। ऐसे में हमारी संस्था द्वारा चलाई जा रही विभिन्न प्रशिक्षण पहलें न केवल रोजगार के नए द्वार खोल रही हैं, बल्कि युवाओं, महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों को आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ा रही हैं।
संस्था द्वारा कंप्यूटर, मोबाइल टेक्नोलॉजी, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर जैसे तकनीकी क्षेत्रों में व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। डिजिटल युग में जहां अधिकतर कार्यप्रणालियां तकनीक पर आधारित हो गई हैं, वहीं ऐसे प्रशिक्षण युवाओं को रोज़गार के लिए तैयार करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
कंप्यूटर प्रशिक्षण: इसमें बेसिक कंप्यूटर नॉलेज, MS Office, इंटरनेट उपयोग, डाटा एंट्री, ग्राफिक डिजाइनिंग, और डिजिटल मार्केटिंग जैसे कोर्स शामिल हैं। यह प्रशिक्षण छात्रों को सरकारी और निजी क्षेत्रों में रोजगार के लिए तैयार करता है।
मोबाइल रिपेयरिंग और टेक्नोलॉजी: मोबाइल फोन अब जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। संस्था मोबाइल रिपेयरिंग, सॉफ्टवेयर इंस्टॉलेशन, मोबाइल अपडेट और नेटवर्किंग जैसी तकनीकों का प्रशिक्षण देती है, जिससे युवा स्वरोजगार स्थापित कर सकें।
हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर प्रशिक्षण: कंप्यूटर असेंबलिंग, ट्रबलशूटिंग, नेटवर्क सेटअप और सॉफ्टवेयर इंस्टॉलेशन जैसी गतिविधियां शामिल की जाती हैं, जो सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान करती हैं।
आज का युग सूचना और मीडिया का है। संस्था ऑडियो-विजुअल, एडिटिंग, सोशल मीडिया प्रबंधन, न्यूज रिपोर्टिंग, बेसिक वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी आदि के प्रशिक्षण के साथ युवाओं को मीडिया क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करती है। यह प्रशिक्षण युवाओं को यूट्यूब, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, फ्रीलांसिंग आदि के माध्यम से भी कमाई के अवसर प्रदान करता है।
संस्था यह भलीभांति जानती है कि हर व्यक्ति का लक्ष्य नौकरी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता होना चाहिए। इसी उद्देश्य से संस्था द्वारा कई प्रकार के लघु उद्योगों में काम आने वाले साधनों के उपयोग और व्यवसायिक संचालन का प्रशिक्षण दिया जाता है।
सिलाई, कढ़ाई और फैशन डिजाइनिंग प्रशिक्षण: महिलाओं के लिए सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। यह प्रशिक्षण महिलाओं को घर बैठे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है।
ब्यूटी पार्लर एवं कॉस्मेटोलॉजी: सुंदरता और आत्मविश्वास आज की आवश्यकता है। संस्था महिलाओं को ब्यूटी पार्लर संचालन, मेकअप आर्ट, हेयर स्टाइलिंग, स्किन केयर जैसे विषयों पर प्रशिक्षण देती है, जिससे वे स्वयं का व्यवसाय शुरू कर सकें।
हस्तकला और हस्तनिर्मित उत्पाद: संस्था द्वारा पारंपरिक और आधुनिक दोनों प्रकार की कलाओं – जैसे मिट्टी के बर्तन बनाना, दीयों की सजावट, राखी बनाना, बुटीक कार्य आदि का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
कला और विज्ञान के समन्वित ज्ञान: विज्ञान और कला का सही उपयोग ही नवाचार का मूल है। संस्था बाल वैज्ञानिकों, कलाकारों और तकनीकी विद्यार्थियों को विज्ञान परियोजनाओं, प्रायोगिक कार्यों और रचनात्मक अभिव्यक्तियों का मंच देती है।
केवल तकनीकी ज्ञान ही पर्याप्त नहीं होता, जब तक कि व्यक्ति अपने विचारों और कार्यों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत न कर सके। इसलिए संस्था द्वारा पर्सनैलिटी डेवलपमेंट, कम्युनिकेशन स्किल्स, इंटरव्यू प्रिपरेशन, टीम वर्क, टाइम मैनेजमेंट और लीडरशिप जैसी क्षमताओं का विकास भी किया जाता है।
मार्केटिंग और सेल्स ट्रेनिंग: संस्था स्थानीय उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने, ग्राहक से संवाद करने, ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार जैसी गतिविधियों का व्यावहारिक प्रशिक्षण देती है। इससे प्रशिक्षणार्थियों को बाजार के अनुरूप खुद को ढालने की योग्यता मिलती है।
संस्था की सबसे खास बात यह है कि यह समस्त प्रशिक्षण पूर्णतः निःशुल्क प्रदान किए जाते हैं। इसका उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों, ग्रामीण क्षेत्रों, महिलाओं, विधवाओं, युवाओं और अन्य जरूरतमंद लोगों को भी बराबरी का अवसर देना है।
विशेष शिविरों का आयोजन किया जाता है जिसमें प्रशिक्षण के साथ-साथ रोजगार मेला, कैरियर काउंसलिंग और व्यावसायिक मार्गदर्शन भी दिया जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर मोबाइल ट्रेनिंग यूनिट्स के माध्यम से भी प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है।
संस्था की विभिन्न प्रशिक्षण योजनाओं के अंतर्गत अब तक सैकड़ों युवा, महिलाएं और बेरोजगार लोग आत्मनिर्भर बन चुके हैं। कई प्रशिक्षित युवक-युवतियों ने अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू किया है, कुछ ने सरकारी और निजी कंपनियों में नौकरियां प्राप्त की हैं, तो कुछ डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कार्य कर रहे हैं।
उदाहरण स्वरूप – रेखा देवी, जो कभी अपने गांव में सीमित संसाधनों में जीवन व्यतीत करती थीं, आज एक सफल ब्यूटी पार्लर चलाती हैं। रामेश्वर नामक युवक, जिन्होंने कंप्यूटर हार्डवेयर का प्रशिक्षण लिया, आज अपने गांव में साइबर कैफे और रिपेयरिंग शॉप चला रहे हैं।
संस्था द्वारा चलाए जा रहे ये प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल तकनीकी और व्यावसायिक ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि समाज में स्वावलंबन, आत्मविश्वास और प्रगति की भावना का भी संचार करते हैं। यह पहल एक सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में एक मजबूत कदम है।
“शिक्षा और प्रशिक्षण से ही खुलेगा आत्मनिर्भरता का मार्ग, और वही बनेगा राष्ट्र की समृद्धि का आधार।”